
प्रेम और वासना के बीच क्या अंतर है?
यदि संभोग के बाद भी आप अपने पार्टनर के साथ ही रहतें हैं बिना किसी घिन के तो वो प्रेम है और यदि केवल संभोग के समय ही आपको अपने पार्टनर पर प्रेम आता है… तो वह केवल वासना है।
जब आत्मा का मिलन हो और… चेहरा, रंग, उम्र, शरीर की बनावट कोई भी रुकावट न बने तो प्रेम है अन्यथा ऊपर में से किसी पर भी आसक्त होकर आप आकर्षित होने लगे तो हो सकता है की कुछ समय के लिए ही सही मगर आप वासना के ही शिकार हैं। प्रेम बाद में ही होगा, उस वक़्त तो नही है।

प्रेम की परिभाषा सबके लिए अपने-आप में ही अलग-अलग है। जो व्यक्ति प्रेम और वासना को एक ही समझता है वह बिलकुल भी गलत है। साथ-ही-साथ यह कहना भी गलत नहीं होगा कि बिना किसी शारीरिक सम्बन्ध के एक पुरुष और स्त्री के बीच में कुछ भी नहीं रह जाता है क्यूंकि उनका आपस में परस्पर कोई सम्बन्ध स्थापित नहीं है।
ऐसे में केवल शारीरिक सम्बन्ध बनाने से ही वे दोनों अपने रिश्ते को एक नयी ऊंचाई और सागर से भी अधिक गहराई तक ले जा सकतें हैं।
मेरे साथ भी अब तक के जीवनमे विभिन्न प्रकार की घटनाएं हुई हैं, कुछ सुनने लायक हैं तो कुछ नही…

अगर किसी को रुचि हो तो वो मुझे कॉल कर सकतें हैं या व्हाट्सएप पर मैसेज कर सकतें हैं, मेरा नम्बर +91–9718713712.
मैने रिश्तों में मनमुटाव व अकेलापन के बहुत से केसेस खुद हैंडल किये हैं, यदि किसी को किसी तरह की सलाह की आवश्यकता हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क कर सकतें हैं। शायद आपकी समस्या का कुछ पता चल पाए। मेरा नम्बर +91–9718713712.
मुझे आपके सुझावों, शिकायतों व किसी तरह के परामर्श हेतु मेसेजिस का इंतज़ार रहेगा।