तलाक के 8 साल बाद एक सफर उनके साथ!
मैं ज्यों ही ट्रेन की जनरल बोगी में चढ़ी। एक जाना-पहचाना चेहरा मेरे पीछे आकर मेरी बगल में बैठ गया था। वह मेरा पति विपिन था। जो कभी मेरी ज़िन्दगी मेरी धड़कन हुआ करता था। उसके साथ मैंने ज़िन्दगी के चार अहम् साल
मैं ज्यों ही ट्रेन की जनरल बोगी में चढ़ी। एक जाना-पहचाना चेहरा मेरे पीछे आकर मेरी बगल में बैठ गया था। वह मेरा पति विपिन था। जो कभी मेरी ज़िन्दगी मेरी धड़कन हुआ करता था। उसके साथ मैंने ज़िन्दगी के चार अहम् साल